❤️ तुम्हारे प्यार में ❤️

एहसासों के साग़र में,यूँ लम्हा लम्हा बहता हूं
तुम्हारी याद में खो कर तेरा दीदार करता हूँ..

हो तुम चाँद जैसे ऐसा लगता है कि जैसे तुम
रहते हो गगन पर और मैं धरती पे रहता हूँ..

तुम्हारे रूठ जाने से डर जाता है दिल मेरा
तभी तो हाल अपना तुमको बतलाने से डरता हूं..

अगर मैं कह न पाऊँ तुमसे तो तुम खुद समझ लेना
मेरी आँखें बता देंगी तुम्हें, मैं तुम पे मरता हूँ…

तुम्हारे इश्क़ में मैं ये खता हर बार करता हूं,
मोहब्बत तुमसे है मैं बस तुम्हीं से प्यार करता हूं..

तुम्हारा प्रिय तूफानी……… 🖋️💝

❤️….में ओर तुम….❤️

एक खूबसूरत अहसास
तुम्हारा पास होना…

तुम्हारी नज़दीकियों के एहसास को
तुम्हें किस तरह बताऊँ

जैसे घने अंधेरे को चीरती
दीपक की मद्धम सी लौ के बीच
करवट बदलता,इठलाता है पीला सा अंधेरा,
वैसे ही तुम्हारे नज़दीक आ कर
तुम्हारी बाहों में समा कर
खिल उठता है ये जीवन मेरा..

जब भी तुम्हें सबसे नज़रें बचा कर
अपनी ओर अपलक देखता पाता हूँ
तो मन ही मन मुस्कुरा जाता हूँ
और मुझे अपनी ओर देखता पा कर
तुम्हारी लाज से झुक जाती पलकें
तुम्हारी निश्छल मुस्कान जैसे आमंत्रण देती हैं
कि बना दूं एक दायरा तुम्हारे आसपास
जिसकी परिधि हो साँसें तुम्हारी
और तुम्हें समेटे हुए हो मेरी बाहों का घेरा..

जब तुम्हें पहली बार देखा
तो प्रेम क्या होता है ये जाना
और फिर तुम्हारा मेरे जीवन मे आना
तुम…मेरे प्रथम प्रेम की अधिकारिणी
मेरी अर्धांगिनी, जीवन संगिनी..
प्रेयसी,प्रियतमा..
कितने नाम दूं तुम्हें
तुमसे ही मेरे जीवन मे सुखद रातें हैं
तुमसे ही है मेरे जीवन का सुंदर सवेरा..

हार्दिक भावसार की कलम से…..🖋️

“तुम से तुम तक

जब भी सोचता हूँ अपने भावों के कुछ शब्द
कागज पर उतारना
उन्हीं शब्दों के छोर को थामें
तुम
आ बैठती हो मेरी सोच में
कुछ लजाई, मंद मुस्कुराती
गालों पर कुछ सुर्ख गुलाबी से
रंग बिखेरती,
और खिलखिला उठती हो
जैसे मेरी उन्मुक्त कल्पना पर..
और मैं भी मुस्कुरा देता हूँ
तुम्हें खिलखिलाता देख कर…
इस तरह तुम से तुम तक
पहुंच कर पूरी होती है
मेरी कविता..
जिसके शब्द शब्द में समाया होता है प्रेम..
सिर्फ तुम्हारे लिये…

हार्दिक की कलम से….🖍️